मंगळवार, ४ नोव्हेंबर, २०१४

खरेदी वर खरेदी

               " खरेदी " हा  शब्द  आपल्या कानावर  पडताच  आपले  मन  आनंदाने  आपल्या  आवडत्या  वस्तू  खरेदी  करून  येतं . खरं  तर  खरेदी  हा  शब्द  माणसाला  हवाहवासा  वाटणारा  असतो.  मराठीत  या  शब्दाचा  वापर  आता  कमी  झालेला  आढळतो  , कारण  आधुनिक  पिढीला  इंग्रजी  भाषेची  ओढ  जास्त  असल्याने  मराठी  शब्दा  ऐवजी  इंग्रजी  भाषेतील "shopping " या  शब्दाचा  वापर  जास्त  होताना  आपणाला  दिसतो.  आधुनिकीकरणामुळे  तो  प्रचलित  आहे .
               असो,,,,,,,, विषय  शब्दाचा   नसून   मुद्दाचा  आहे  तर,,,,,,, खरेदी  करून  मानव  आपल्या  काही  गरजा   भागवून  घेत  असतो . कौटुंबिक  उत्साह  वाटवायचा  असेल , तर shopping हा  प्रकार आलाच.  आपले  मित्र -मैञिणी  तसेच  घरातील मुले, आई , बायको , बहिन, भाऊ , आजी-आजोबा सर्व  मंडळी shopping साठी  आतूरलेलीच  जरा  कुठला  सण - उत्सव  जवळ  आला  कि  चला  shopping ला.  आता माझच घ्या ना, माझा  भाऊ  नेहमीच  म्हणत  असतो  चला shopping ला .  मला  तर  असे  वाटते  की,  मानवाच्या  तीन  मुलभुत  गरजापैंकी  खरेदी  हिच  चौथी  गरज  असायला  हवी , कारण  आपण  आपल्या  आयुष्यातील  अर्ध  आयुष्य  आणि  पैसे  या  खरेदीवरच  खर्च  करत  असतो.   हेच खरं ,,,,,,
                तरीसुद्धा  खरेदी  म्हटल्यावर  आपला  आणि specially बायकांचा  आवडता  विषय  म्हणायला  लागेल.  दिवाळी , गणपती , होळी, या  सारख्या  अनेक  सणां मध्य े दिलखुलास  खर्च  करणारे  आपण,  या  खरेदीचा  आनंद  कसा  लुटून  घेतो  हे  आपल्याच  माहित.  खरेदी साठी   एकटे  किंवा   इतरां बरोबर    जात  असतो  बाजारात   आपण  आपली   खरेदी   करीत   असताना   गर्दीत  आपली  होणारी   घाई- गडबड   तसेच   विक्रेत्याशी  आणि   आपली   किंमतीत   होणारी वर-चढ  हि  आपल्याला   नेहमीच   आठवणीत   राहते  परंतु   आता  तंत्र - ज्ञानाच्या   विकासामुळे   "e- shopping "  हा  प्रकार   येवून  ठेपला  आहे ,  त्यामुळे  खरेदीची  पद्धत   थोडी   बदलेली  आहे  e- shopping  मध्ये 
वस्तूंचे   अनेक   प्रकार   आपल्याला   पाहायची  संधी  जरी  असली  तरीदेखील   त्यात  त्या   वस्तूला  स्पर्श   करून   खरेदी   करण्याचा  अनुभव  याचा   अभाव   जाणवत  राहतो
                    

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